सालासर धाम बालाजी
सालासर धाम बालाजी
सालासर धाम के पीछे की कहानी:@
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक किसान खेत में जोतकर रहा था। उसी समय अचानक हल किसी नुकीली पथरीली चीज से टकरा गया और उसने देखा तो वह एक पत्थर था जो एक मूर्ति हनुमान की और दूसरी मूर्ति बालाजी की थी। बताया जाता है कि एक बार रात बालाजी ने सपने में आकर किसान को मर्ति को मूर्ति को चुरू जिले के सालासर मैं स्थापित करने को कहा था।
सालासर धाम बालाजी की सामान्य जानकारी @@
@हनुमान भक्तों के लिए विशेष पूजा स्थल है।
@बालाजी के बाल स्वरूप को बालाजी के रूप मे पूजा जाता हैं।
@यह मूर्ति बालाजी भगवान श्री हनुमान की है।
@भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है।
@यहां जिस रूप मे बालाजी की मूर्ति है, वैसी भारत देश में अन्यत्र कहीं नहीं हैं।
@यह अपनी दिव्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं।
@मूंछ व दाढ़ी हनुमान जी अपने विराट रुप में विराजमान हैं।
@बल बुद्धि का प्रतीक माना जाता हैं।
@बालाजी का असली नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जो खुद भगवान विष्णु है।
बालाजी को अर्जी कैसे लगाई जाती हैं @#@#@
थाली में सवा सेर लडडू व घी का दीपक सिर पर रखकर अपना पूरा नाम, पिता का पूरा नाम (महिला अपने पति का पूरा नाम) बोले और श्रद्धा से अपनी मन्नत मांगें। ऐसा माना जाता है कि यहां प्रार्थना करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है।
@@मन्नत मांगने की विधि:---
हिन्दू धर्म के हर एक दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। मंगलवार हनुमान जी का वार है
**पूजा सुबह करे।
*हनुमान चालीसा का पाठ करें।
**अपनी इच्छा मांगे।
**सुंदरकांड का पाठ करें।
**मंत्र का जाप करें (ॐ तेजसे नमः)
**ध्यान लगाएं (पूजा या ध्यान के दौरान अगर साधक की आंखों में से आंसू आ जाये तो यह शुभ संकेत माना जाता हैं) इस प्रकार हनुमान जी से मन्नत मांग सकते हैं।
##सालासर धाम बालाजी विषेश:---
हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा (मार्च--अप्रैल) और अश्विन पूर्णिमा (सितम्बर आक्टूबर) महीनों के दौरान बड़े मेले आयोजित होते हैं @@@@@




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